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जाट भाईयो हमारी जाति से हमारे अँदर बह रहे खुन का पता चलता है,हमारे डी.एन.ए का पता चलता है जबकि धर्म एक विचारधारा है, यह विचारधारा हमको जन्म लेने के बाद सिखाई जाती है। हम किसी भी चीज के प्रभाव में आकर हमारी विचारधारा बदल सकते है लेकिन डी.एन.ए. हमारे अंदर किस पुर्वज का खुन दौड़ रहा है वो नहीं बदल सकते ।
आप बताइए यदि एक परिवार में दो भाईयों की विचारधारा एक दुसरे से अलग हो जाए तो कि वो परिवार सँगठित रहेगा या बँटेगा,अरे भाई बिल्कुल बँटेगा। तो भाईयो-बहनों उसी तरह हम जाट है एक नस्ल। केवल हमारी ताकत को देखकर ही दुश्मन राख हो जाता है लेकिन कइ बार ताकत से ज्यादा दिमाग का खेल धोखा दे जाता है । समय-समय पर कुछ बाहरी तत्वों(दुश्मनों)ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और जाटों को अलग अलग विचारधारा से अवगत कराया और फिर जाट अपने आप बट गए ,पुरी जाट नस्ल इन विचारधाराओं के कारण बांट दी गई और आज आप सब देख सकते हैं समय की मार को। यदि उस समय जाट समझ जाते तो आज ये नस्ल इस तरह बिखरी ना होती । ये दिन ना देखना पड़ता, हममें अलग-अलग विचारधारा का बीज रोपणे वालों की नस्लें आज हमारा हाथ पकड़कर हम जाटों को एक दुसरे का दुश्मन बता रही है,हमारे गर्म ताजे खुन को पानी बना रही है।
ये आप लोगों को तय करना है जाट वीरों कि आप सब बिखरे हुए जाटों को एक करने वालों के साथ हो या इनको बाँटने वालों की सँतानो के साथ। जो जाट अपने पूर्वजों के खुन की रक्षा नहीं कर सकते वो दुसरों की क्या रक्षा करेगा।पगड़ी सँभाल जट्टा । दुश्मन पहचान जट्टा ।