कारगिल शहीद सोरेन सिंह कुंतल ने गोली लगने के बाद भी दुश्मनों से लिया था जमकर 'लोहा'


21 साल पहले गोवर्धन तहसील क्षेत्र जिला मथुरा उत्तर प्रदेश के छोटे से मजरे नगला उम्मेद की नगरिया के रहने वाले सोरन सिंह कुंतल जाट ने दुर्गम पहाड़ियों में दुश्मन के ऊंचाई पर होने के बाद भी दुश्मन को ललकारते हुए दस गोलियां खाई थीं। 

वह अंतिम सांस तक लड़े और नापाक मंसूबों को लेकर आए पाक घुसपैठियों को मार गिराया। सीनियर होने के कारण जाट रेजीमेंट में सबसे आगे चलते थे। नगला उम्मेद की नगरिया के रहने वाले किसान अर्जुन सिंह के पुत्र सोरन सिंह का जाट रेंजीमेंट सेना में सन 1990 में चयन हुआ था। उनकी नागालैंड से लेकर पिथौगढ़ जैसे दुर्गम स्थानों पर पोस्टिंग रही। इसके बाद वे कारगिल की पहाड़ियों में भेजे गये।

महज 28 साल की उम्र में शहीद हो गये सोरन सिंह कुंतल
सोरन सिंह कारगिल की लड़ाई में महज 28 वर्ष की उम्र में शहीद हो गये। उस समय शहीद के परिवार में बेटे विवेक की उम्र 5 वर्ष, बेटी डॉली 3 वर्ष और सबसे छोटे बेटे रोहित की उम्र छह माह थी। शहीद की पत्नी कमलेश ने बताया कि धीरे-धीरे गिरिराज जी के आशीर्वाद से परिवार का पालन पोषण किया।

उसके बड़े पुत्र विवेक और पुत्री डॉली की शादी हो चुकी है। रोहित पढ़ाई कर रहा है। शहीद की पत्नी कमलेश का कहना है कि पाकिस्तान को एक बार सबक सिखाने की आवश्यकता है। जुलाई 2019 में उनको दिल्ली में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मानित किया |

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