देश आजादी के बाद सामंतवादी व्यवस्था में आखिरी कील ठोकने वाले महापुरुष

देश आजादी के बाद सामंतवादी व्यवस्था में आखिरी कील ठोकने वाले महापुरुष चौधरी रामदेव,चौधरी करणी राम 
रामदेव जी व करणी राम जी #झुन्झुनूं जिलें में गिलो की ढाणी व भोजासर गांव के रहने वाले थे।
उदपुरवाटी की पहाड़ियों के बीच चंवरा गांव में आजादी के बाद सामंतों द्वारा लगान वसूली के विरोध में सामंतों की गोलियों से शहीद हुए थे।
जिस इलाके में आपका बलिदान हुआ उस इलाके में गुर्जर,माली व एससी-एसटी के लोग रहते है जाट समाज का एक भी घर नहीं है इसका मतलब यह सिद्ध होता है कि हमारे महापुरुष जातिवादी व्यवस्था में विश्वास नहीं रखते थे वो हमेशा से ही किसान कमेरा वर्ग को आजाद कराने के लिए संघर्ष करतें थे आप दोनों महापुरुषों पर हमें गर्व है आपकी कुर्बानी हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।

इनके प्रयासों से ही राजस्थान सरकार ने वर्ष 1952 में जागीरदारी प्रथा को समाप्त किया गया था । दोनों किसान नेता गांधीवादी विचारों के अनुयायी थे । चौधरी श्री करणीराम जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री लेकर झुंझुनू में वकालत शुरु की थी । उस समय चौधरी करणी राम गरीबों के दास के नाम से विख्यात हुए । उनका घर गरीबों की शरणस्थली था । स्वंय के खर्चे से गरीबों के मुकदमों की पैरवी करते थे । हाथ से कती हुई रूई के कपड़े पहनते थे । शहीद करणी राम 1952 के आम चुनावों में उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी थे  इनके साथ ही झुन्झुनूं जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी का भी निर्वहन किया था । 13 मई 1952 को चंवरा गांव में  सेढूराम की ढाणी में जागीरदारों की ओर से की गई अंधाधुंध फायरिंग से दोनों किसान नेता शहीद हो गए थे । उस दौरान राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास सहित राज्य के कई आला अधिकारी इनकी श्रद्घाजलि सभा में उदयपुरवाटी आए थे । इन दोनों वीर शहीदों का अन्तिम संस्कार 14 मई 1952 को जिला कलेक्टर झुन्झुनूं के कार्यालय के सामने किया गया था । यहां पर दोनों की मुर्ति विराजित कर उक्त स्थल को शहीद स्मारक के रूप में घोषित किया गया था

#शहीद_चौधरी_करणीराम 
#शहीद_चौधरी_रामदेव_सिंह

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