वीर चक्र सूबेदार बृजेन्द्र सिंह खूंटेला शहीद दिवस
------ शौर्य दिवस ------
सूबेदार बृजेन्द्र सिंह खूंटेला
वीर चक्र
यूनिट - 4 जाट रेजिमेंट
बेरीवाला पुल का युद्ध
ऑपरेशन कैक्टस लिली
भारत-पाक युद्ध 1971
सूबेदार बृजेन्द्र सिंह का जन्म ब्रिटिश भारत में, 15 अक्टूबर 1932 को भरतपुर राज्य (अब भरतपुर जिला) की कुम्हेर तहसील के गुनसरा गांव में एक जाट परिवार में हुआ था।
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी वायुसेना के जालंधर व अन्य भारतीय वायु सेना स्टेशन पर आक्रमण के पश्चात भारतीय सेना को सचेत कर दिया गया। सूबेदार बृजेन्द्र सिंह 4 जाट की डेल्टा कंपनी के सेकंड-इन-कमांड थे। इन्होंने अपने सैनिकों के साथ पंजाब के गुरमुख गांव में शत्रु के सामने मोर्चा संभाल लिया।
दुर्बल मोर्चा समझ कर पाकिस्तान की 6 फ्रंटियर फोर्स ने फाजिल्का सेक्टर के बेरीवाला पुल पर अधिकार कर लिया। पाकिस्तानी सैनिक सुदृढ़, सुसज्जित बंकरों में पूर्ण रूप से सुरक्षित थे और उस क्षेत्र में हावी थे। 3/4 दिसंबर 1971 की रात्रि में भारतीय सेना के आर्मर्ड कॉर्प्स की 18 कैवेलरी के टी-54 टैंकों और 4 जाट बटालियन की डेल्टा कंपनी ने शत्रु को बेरीवाला पुल से निष्कासित करने के लिए आक्रमण किया।
वीर चक्र उद्धरण
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सूबेदार बृजेन्द्र सिंह 4 जाट बटालियन की डेल्टा कंपनी के सेकंड-इन-कमांड थे, जिसे पश्चिमी सेक्टर के एक गाँव पर पुनः अधिकार करने का कार्य सौंपा गया था। इस गांव पर शत्रु का अधिकार था और एक बांध पर उनकी स्थिति का प्रभुत्व था। उद्देश्य पर अधिकार करने के पश्चात, कंपनी कमांडर ने सूबेदार बृजेन्द्र सिंह को एक छोटी टुकड़ी लेकर निकट के एक शत्रु बंकर से गोलीबारी कर रही और हमारे सैनिकों को हताहत कर रही एक मीडियम मशीन गन को शांत कराने का आदेश दिया।
सूबेदार बृजेन्द्र सिंह ने अपनी तीन सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व किया और मशीन गन बंकर पर आक्रमण किया। इस प्रक्रिया में, वह और उनके दो साथी मशीन गन की गोलियां लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए। फिर भी, अविचलित और निडर होकर, वह उस बंकर तक गए और एक हथगोला फेंक कर मशीन गन को शांत कर दिया। इसने उनकी कंपनी को बांध के एक भाग को सुरक्षित करने में सक्षम किया।
इस कार्रवाई में सूबेदार बृजेंद्र सिंह ने उच्च कोटि की वीरता, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व का परिचय दिया। वर्ष 1972 में उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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सूबेदार बृजेन्द्र सिंह को गांव में सूबेदार बाबा के नाम से जाना जाता है। वृद्धावस्था में भी वह उत्साह से परिपूर्ण हैं और अपने क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वह आज भी समाज सेवा करते हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र के अनेक युवाओं को सशस्त्र बलों में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया है।
दिसंबर 2020 में स्वर्णिम विजय यात्रा में सेना के अधिकारी उनके घर पहुंचे और उन्हें स्वर्णिम विजय मशाल सौंप कर उनका सम्मान किया गया।
जय हिंद!! जय जवान!!
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