6 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारकर शहीद हुए थे मेजर सुरेंद्र बड़सरा

 
वतन पर जो फिदा होगा, अमर वो जवान होगा....ये शब्द उन जवानों के लिए समर्पित है जो देश के लिए मर मिटते है। जी हां , देश को सबसे अधिक सैनिक और शहीद देने का गौरव जाटिस्तान/राजस्थान के नेहरावाटी को प्राप्त है। यहां घर-घर में सैनिक और गांव-गांव में शहीद प्रतिमाएं इस बात की गवाह हैं। तो आइए आज एक ऐसे ही बहादुर फौजी के बारे में जानते हैं, जिसने मुठभेड़ में 6 आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया।

सीकर जिले के गांव कूदन के मेजर सुरेन्द्र बड़सरा उनकी बहादुरी के चर्चे गांंव में हर बच्चे-बूढे की जुबां पर हैं । मेजर सुरेन्द्र बड़सरा चार पैरा स्पेशल फोर्स में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सैक्टर में तैनात थे। 3 मई 2012 को आतंककारियों से मुठभेड़ के समय मेजर सुरेन्द्र ने 6 आंतकवादियों को मौत के घाट उतार दिया।इसी दौरान एक गोली उनके पेट में लगी। गोली लगने के बाद करीब डेढ़ माह बाद दिल्ली के अस्पताल में उपचार के दौरान 21 जून 2012 को दम तोड़ दिया था।23 जून 2012 को तिरंगे में लिपटी उनका पार्थिव शरीर उनके गांव कूदन पहुंचा था | 
जल्द ही घर आने की कही बात 
शहीद बेटे को अंतिम विदाई देने उस समय पूरा नेहरावाटी उमड़ गया था। मेजर सुरेन्द्र अपने गांव कूदन के पहले शहीद थे। इस गांव से सैकड़ों जवान सेना में कार्यरत हैं। सुरेन्द्र का मुठभेड़ से पहले अपने छोटे भाई के पास फोन आया था। तब उन्होंने जल्द ही घर आने की बात कही थी।
 
 
 
-सुरेन्द्र की आठवीं तक की शिक्षा कूदन गांव के सरकारी स्कूल में हुई। 
-बाद में पिता सूबेदार केसर सिंह के साथ वे अहमद नगर में चले गए। 
-अहमद नगर के केन्द्रीय विद्यालय में चयन होने के बाद आगे की पढ़ाई वहीं से की।
-सुरेन्द्र का कमाइंड डिफेंस सर्विस परीक्षा पास करने के बाद वर्ष 2002 में सेना में चयन हुआ था। 
-शुरुआत में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड में भेज दिया गया। 
-एनएसजी में सुरेन्द्र एंटी हाइजेकिंग ऑपरेशन में मास्टर थे
- वे यहां ब्लैक केट कमांडो रहे।


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