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Showing posts with the label Jat Martyr/जाट शहीद

शहीद पुष्पेंद्र सिंह इंडोलिया

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गांव खुटिया निवासी पुष्पेंद्र सिंह श्रीनगर के संगधार में एलओसी पर तैनात थे। 13 अगस्त 2018 को पाकिस्तानी की ओर से गोलीबारी हुई। इसमें सीमा पर तैनात 20 जाट रेजीमेंट के जवान पुष्पेंद्र सिंह शहीद हो गए थे | पुष्पेंद्र सिंह के शहीद होने की खबर से गांव में मातम छा गया। 27 साल के पुष्पेंद्र सिंह का विवाह 17 फरवरी 2016 को ही आगरा के गांव जोनई निवासी सुधा के साथ हुआ था। शहादत से सात माह पहले ही सुधा ने पुत्र को जन्म दिया है।

दो आतंकियों को मार कर शहीद हुए थे विशाल चौधरी

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उत्तरप्रदेश के जहांगीराबाद क्षेत्र के गांव रौंडा निवासी विशाल चौधरी पुत्र दीनदयाल चौधरी कश्मीर के नौगाम सेक्टर में तैनात थे। शुक्रवार जुलाई 2016 की रात नौगाम सेक्टर में तैनात जवानों ने संदिग्ध हलचल देखी। आंतकी घुसपैठ को देख विशाल और उसके साथी जवानों ने सरेंडर के लिए ललकारा। जिसके बाद आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। आंतकियों के साथ जवानों की जमकर मुठभेड़ चली। इसमें दो आतंकी ढेर हो गए , जबकि बुलंदशहर का लाल विशाल चौधरी शहीद हो गए। इसके अलावा दो जवान घायल भी हो गए। विशेष विमान से शहीद विशाल चौधरी का शव कुपवाड़ा से दिल्ली लाया गया। शहीद का शव आते ही गांव में भारत माता की जय और विशाल चौधरी अमर रहे के नारे लगने लगे। पूरा माहौल गर्वमय गमगीन हो गया। अपने लाल को एक बार देखने के बाद ग्रामीणों की आंख भर आई। एसडीएम राहुल यादव की मौजूदगी में पूरे सैनिक सम्मान के साथ नम आंखों से शहीद विशाल चौधरी को अंतिम विदाई दी गई। मरणोपरांत शहीद विशाल चौधरी को सेना मेडल से सम्मानित किया गया | शहीद विशाल चौधरी माता-पिता और परिवार का एकमात्र सहारा थे। पूरा गांव अपने लाल को खोने के गम में था। गांव के कि...

गुलमर्ग में शहीद हुए अक्षय कादयान

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हरियाणा रोहतक के रहने वाले अक्षय कादयान   जम्मू-कश्मीर के गुलगर्म में गोली लगने से शहीद  हो गए |  पूरा परिवार देश को समर्पित रहा है। पिता आन्नद   सिंह कारगिल में गंभीर घायल हो गऐ थे तो दादा   रिसलदार हरिराम जी राष्ट्रपति के सुरक्षा गार्ड थे | दूसरे दादा कैप्टन कपूर सिंह देश के लिए तीन लड़ाई  लड़ चुके हैं, जबकि चाचा-ताऊ सेना और पुलिस में  सेवा दे रहे हैं।  शहीद अक्षय के भाई उमेश कादयान सीआरपीएफ में तैनात हैं | जय हिंद जय भारत   भारत माँ के वीर सपूत  शहीद अक्षय कादयान अमर रहे

शहीद लेफ्टिनेंट रविन्द्र छिकारा कीर्ति चक्र

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तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए कही ये कहानी। जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।। *** MARTYRDOM DAY *** Shaheed Lt. Ravinder Singh Chhikara Kirti Chakra (Posthumously) Unit - 6 Grenadiers Regiment Operation - Rakshak Lt. Chhikara was born in village Kheri Asra , A small hamlet in Jhajjar district of Haryana to Dr. Rattan Singh and Kamla Devi. He did his school from M.N.S.S. Rai and joined N.D.A. He was commissioned in Indian Army on 12 December 1998 in 6th Grenadiers Regiment. On 19 July 2000 after receiving the information about the presence of few terrorists in village Naili a joint operation was launched by Ghatak platoon under Lt Chhikara with troops of 16 Sikh Regiment. Seeing the advancing Ghatak Party, the terrorists opened volley of fire on the Party. Lt Chhikara who was moving closely behind the scouts quickly moved the house where from the fire had come. Without wasting any time, under the cover of LMG fire the officer displaying utmost dedication to his duty ...

लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी शहीद

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जनपद मु०नगर के गांव अलावलपुर माजरा निवासी ,हाल निवास बाईपास  स्थित सिलवर ग्रीन सिटी निवासी सेना की12वीं सिख बटालियन के  लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी  चीन सीमा पर पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हो गई। ये दुखद खबरशुक्रवार को बटालियन के कमांडिंग आफिसर अजित सिंह ने परिजनों को दिया तो परिवार में कोहराम मच गया। फौजी अफसर चौधरी के बहनोई उपेन्द्र सिंह ने बताया कि पॉसिंग आउट परेड के बाद तीन माह पूर्व ही आकाश फौज में अफसर बने थे। उनकी पहली पोस्टिंग मणिपुर में हुई थी। उनके बटालियन के फौजी पहाड़ी इलाकों में ट्रेनिंग पर थे। ट्रेनिंग के दौरान वह किसी पहाड़ी चोटी पर चढ़ रहे थे। अचानक उसका पैर फिसला और वह खाई में जा गिरे। हादसे के दौरान अचानक पहाड़ी से लैंड स्लाइडिंग भी शुरू हो गयी। उनके साथी जवानों ने काफी प्रयास किया, लेकिन मदद नहीं पहुंचायी जा सकी। इस फौजी अफसर के परिवार में पिता केपी सिंह के अलावा मां कमलेश तथा दो बहनें शिवानी व प्रियंका हैं। शिवानी शादीशुदा है। उसका विवाह उपेन्द्र सिंह से हुआ है। जबकि प्रियंका अभी पढ़ाई कर रही है। अशोक का पार्थिव शरीर शनिवार को आने की उम्मीद की जा रही है। उनके शहादत ...

7 दिन तक बर्फ पीकर दुश्मनों पर बरसाते रहे गोलियां कारगिल योद्धा झाबरमल पुनिया

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#KargilWar #Jat_Regiment 7 दिन बर्फ पीकर दुश्मनों पर बरसाते रहे गोलियां झाबरमल पूनिया (चूरू) राजस्थान 7 जुलाई 1999को टोलोलिंग पहाड़ी पर दुश्मन सेना के साथ आमने-सामने की फायरिंग चल रही थी। पहाड़ी पर बर्फीली हवा चल रही थी और ऑक्सीजन की कमी थी। गोलीबारी से साथी जवान मारे जा रहे थे। पानी नहीं पहुंचने पर हमारी 17 जाट बटालियन के सैनिकों ने सात दिन तक बर्फ पीकर, बिस्किट व ड्राईफूड खाकर दुश्मनों से लोहा लिया। टोलोलिंग पहाड़ी पर विजय पाने तक हमारी बटालियन के करीब 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे। 50 सैनिक जख्मी हो गए थे। किसी के पैर, किसी की आंखे तो किसी के हाथ चले गए थे। बर्फ से शरीर काला हो गया था। पेट में गोली लगने के कारण मेरी हालत खराब हो रही थी लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। बर्फ पर रेंगते हुए एक किमी दूर स्थित मेडिकल कैम्प पहुंचे। घायल होने के बाद जब कैंप में उनके परिजन लेने गए तो पहचान भी नहीं सके।

शहीद कैप्टन सज्जन सिंह मलिक

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कैप्टन सज्जन सिंह मलिक राजस्थान में चुरू जिले की राजगढ़ तहसील के कीर्तन गाँव से हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सैन्य स्कूल बेलगाम से अध्ययन किया और अपने पिता के नक्शेकदम पर चल पड़े, जो जाट रेजिमेंट में सेना में कार्यरत थे। मिलिट्री स्कूल में उनकी शिक्षा ने उन सिपाही गुणों की नींव रखी, जिन्हें एनडीए और आईएमए देहरादून में आगे बढ़ाया गया। IMA से पास आउट होने के बाद, उन्हें 10 पैरा (SF) में पैराशूट रेजिमेंट के विशेष बल बटालियन में कमीशन किया गया था। जिसका गठन 01 जून 1967 को किया गया, 10 पैरा (एसएफ) को "डेजर्ट स्कॉर्पियन्स" के रूप में जाना जाता है, इस इकाई के अधिकारियों और जवानों को विशेष रूप से रेगिस्तान युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। वे स्टील के आदमी हैं, जिनकी शारीरिक और मानसिक क्रूरता तुलना से परे है। कैप्टन सज्जन सिंह मलिक बटालियन में शामिल हो गए, जो अपने निडर सैनिकों और कई साहसी कार्यों के लिए जाने जाते हैं। बारामूला ऑपरेशन: 08 जुलाई 2004    2004 के दौरान, कैप्टन सज्जन सिंह मलिक की यूनिट को आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए J & K में तैनात ...

शहीद श्री श्योदाना राम बिजारणिया

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                                                                   कारगिल शहीद                          शहीद श्री श्योदाना राम बिजारणिया                        हरिपुरा,लोसल (सीकर) राजस्थान            लोसल के निकटवर्ती गांव हरिपुरा में श्री मांगूराम जी बिजारणियां के घर पांचवीं संतान के रूप में जन्मे श्री श्योदाना राम बचपन से ही कुशाग्रबुद्धि थे कि लोसल में डेडराज सीनियर सेकेंडरी स्कूल में वर्ष १९९१ में विज्ञान विषय में ११ वी पढ़ रहे थे लेकिन पारिवारिक आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए रोजगार पाने सेना भर्ती रैली में भाग लेते हुए 28 अप्रैल 1991 को 17 जाट बटालियन में शामिल हुए जिसका मुख्यालय बरेली हैं।         ज्ञात हो कि श्र...

शहीद कालूराम जाखड़ ने ​जिस दिन मां को खत लिखा, उसी दिन हुए शहीद,पांव शरीर से अलग होने के बाद भी दुश्मनों के 8 बंकर उड़ा दिए थे

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जोधपुर जाटिस्तान से शहीद कालूराम जाखड़ आर्मी ज्वाइन करने के 5 साल बाद शहीद जोधपुर के भोपालगढ़ क्षेत्र के खेड़ी चारणान गांव निवासी कालूराम जाखड़ पुत्र गंगाराम जाखड़ 28 अप्रेल 1994 को भारतीय सेना की 17 जाट रेजीमेंट में सिपाही के पद पर सेना में भर्ती हुए थे। चार-साढ़े चार साल बाद ही उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर इलाके में हो गई थी। मई 1999 में कारगिल युद्ध शुरू हो गया था। कालूराम कारगिल की पहाड़ी पर करीब 17850 फीट की ऊंचाई पर पीपुल-2-तारा सेक्टर में अपनी रेजिमेंट के साथ तैनात थे। इस दौरान 4 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी सेना ने उनकी रेजिमेंट पर हमला बोल दिया। एक बम का गोला कालूराम के पैर पर आकर लगा और उनका पैर शरीर से अलग ही हो गया था। इसके बावजूद भी कालूराम दुश्मनों से लड़ते रहे और अपने रॉकेट लांचर से दुश्मनों का एक बंकर ध्वस्त कर उसमें छिपे 8 घुसपैठियों को मार गिराया। मां को लिखे खत में था इन बातों का जिक्र कालूराम जाखड़ ने कारगिल से ही अपनी मां को एक खत भेजा था। बाद में पता चला कि उन्होंने जिस दिन खत लिखा था। उसी दिन वे शहीद हो गए थे। खत में उन्हो...

6 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारकर शहीद हुए थे मेजर सुरेंद्र बड़सरा

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  वतन पर जो फिदा होगा, अमर वो जवान होगा ....ये शब्द उन जवानों के लिए समर्पित है जो देश के लिए मर मिटते है। जी हां , देश को सबसे अधिक सैनिक और शहीद देने का गौरव जाटिस्तान /राजस्थान के नेहरावाटी को प्राप्त है। यहां घर-घर में सैनिक और गांव-गांव में शहीद प्रतिमाएं इस बात की गवाह हैं। तो आइए आज एक ऐसे ही बहादुर फौजी के बारे में जानते हैं, जिसने मुठभेड़ में 6 आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। सीकर जिले के गांव कूदन के मेजर सुरेन्द्र बड़सरा उनकी बहादुरी के चर्चे गांंव में हर बच्चे-बूढे की जुबां पर हैं । मेजर सुरेन्द्र बड़सरा चार पैरा स्पेशल फोर्स में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सैक्टर में तैनात थे। 3 मई 2012 को आतंककारियों से मुठभेड़ के समय मेजर सुरेन्द्र ने 6 आंतकवादियों को मौत के घाट उतार दिया।इसी दौरान एक गोली उनके पेट में लगी। गोली लगने के बाद करीब डेढ़ माह बाद दिल्ली के अस्पताल में उपचार के दौरान 21 जून 2012 को दम तोड़ दिया था।23 जून 2012 को तिरंगे में लिपटी उनका पार्थिव शरीर उनके गांव कूदन पहुंचा था |  जल्द ही घर आने की कही बात  शहीद बेटे को...

लांस नायक विनोद कुमार कटेवा, हरपलु टाल, चुरू, 13 जून, 1999, 18 ग्रेनेडियर्स

सिपाही राज कुमार पूनिया, भैंसली, चुरू, 24 मई 1999, 18 ग्रेनेडियर्स

सिपाही कालू राम जाखड़, खैरी चारणान, 4 जुलाई 1999, 17 जाट रेजिमेंट

सिपाही गणपत सिंह ढाका, सिहोत छोटी, सीकर, 27 जुलाई 1999, 16 ग्रनेडियर्स

सिपाही बनवारी लाल बगरिया, सिग्दोला छोटा, सीकर, 15 मई 1999, 4 जाट रेजिमेंट

लांस नायक दया चंद जाखड़, रहणवा, सीकर, 12 जून 1999, 4 जाट रेजिमेंट

सिपाही श्योदान राम बिजारनिया, हरिपुरा, सीकर, 7 जुलाई 1999, 17 जाट रेजिमेंट

लांस हवलदार महेंद्र सिंह गोदारा, सूरतपुरा, चुरू, 12 जून 1999, 4 जाट रेजिमेंट

सिपाही भीखा राम चौधरी, पातासर, बाड़मेर, 15 मई 1999, 4 जाट रेजिमेंट

सिपाही मूला राम बिदियासर, काठोती, नागौर, 15 मई 1999, 4 जाट रेजिमेंट