शहीद कमाण्डेन्ट डॉ. जितेंद्र सिंह चौधरी

राजस्थान के भरतपुर सलेमपुर कलां का लाडला जम्मू-कश्मीर में जितेंद्र चौधरी पाकिस्तान की गोलीबारी में 13 जून 2018 को शहीद हुए थे |
जितेन्द्र का जन्म 1 दिसंबर 1986 को हुआ था। वह पत्नी रेणु सिंह व बेटे यशवर्द्धन के साथ जम्मू में रहते थे | जबकि उसके पिता समुद्र सिंह, माता सुमित्रा और छोटा भाई मानसरोवर जयपुर रजत पथ पर रहते थे।
जितेन्द्र का 2010 में बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर सिलेक्शन हुआ था और लम्बे समय से जम्मू में तैनात थे |
जम्मू में बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट जितेन्द्र चौधरी ने शहीद होने के कुछ घंटों पहले ही तो अपने बुजुर्ग माता-पता को ट्रेन पर बिठाकर घर के लिए रवाना किया था। मां सुमित्रा ने बड़े लाड़ से माथा चूमकर बेटे को विदाई दी थी लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह उसकी अंतिम विदाई होगी। पिता समुद्र सिंह बेटे को जीते रहो का आशीर्वाद देकर आए थे, लेकिन उनके जयपुर पहुंचने से पहले ही वह अमर हो गया। 

13 मई 2018 को बुधवार सुबह 6 बजे जब जयपुर जंक्शन पर माता-पिता पहुंचे तो खबर मिली की जम्मू में मंगलवार देर रात बाद पाकिस्तान की गोलीबारी में दुश्मनों का सामना करते उनका बेटा जितेंद्र शहीद हो गया।
पिता समुंद्र चौधरी को एक बार तो विश्वास ही नहीं हुआ लेकिन स्टेशन पर उनके लेने आए छोटे बेटे दीपक की आंखों में आंसू देखकर मां और पिता का बुरा हाल हो गया।
छोटे बेटे दीपक ने माता-पिता को संभाला था,समुद्र सिंह भरतपुर के सलेमपुर के रहने वाले हैं।
बेटे की शहीद हो जाने की खबर से कॉलोनी और सलेमपुर में सन्नाटा छा गया। 
जम्मू से शहीद जितेन्द्र के पार्थिव देह को जयपुर एयरपोर्ट लाया गया।
बीएसएफ के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद जितेन्द्र के तिरंगे में लपटे पार्थिव देह को उसके सलेमपुर भरतपुर पैतृक घर पर ले जाया गया।

यूपीएससी मेन्स में पास होने के बाद भी बॉर्डर पर जाना चुना
- जितेंद्र को 12वीं कक्षा के बाद से ही देश की सरहद पर जाने का जज्बा था। उसने यूपीएससी का ऑफर तक ठुकरा दिया।
- जितेन्द्र के दोस्त रामनिवास ने बताया कि दोनों एक साथ ही 2007 में आरएएस प्री परीक्षा पास कर ली थी। 2008 में यूपीएससी मेन्स भी क्लियर किया। उसने बीएसएफ में अस्सिटेंट कमाडेंट का भी एग्जाम दिया। पास होने पर यूपीएससी का इंटरव्यू देने के बजाए बॉर्डर पर गया। तब उसने कहा था- मेरा मकसद पूरा हो गया है।
1 माह बाद जयपुर आने वाले थे
- जितेन्द्र ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन विषय में पीएचडी की थी। जितेन्द्र शहादत से दो माह पहले जम्मू से पीएचडी करने अपने घर पर आए थे।
- पीएचडी के बाद जितेन्द्र पत्नी रेणु व बेटे यशवर्द्धन के साथ जम्मू चले गए। एक माह बाद लम्बी छुट्टी पर जयपुर आने वाले थे। ...
और 13 मई 2018 को जब ताबूत में आए तो जयपुर रो पड़ा।
                           शहीद जितेंद्र सिंह चौधरी व पत्नी रेणु सिंह

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