शहीद कालूराम जाखड़ ने जिस दिन मां को खत लिखा, उसी दिन हुए शहीद,पांव शरीर से अलग होने के बाद भी दुश्मनों के 8 बंकर उड़ा दिए थे
जोधपुर जाटिस्तान से शहीद कालूराम जाखड़
आर्मी ज्वाइन करने के 5 साल बाद शहीद
जोधपुर के भोपालगढ़ क्षेत्र के खेड़ी चारणान गांव निवासी कालूराम जाखड़ पुत्र गंगाराम जाखड़ 28 अप्रेल 1994 को भारतीय सेना की 17 जाट रेजीमेंट में सिपाही के पद पर सेना में भर्ती हुए थे। चार-साढ़े चार साल बाद ही उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर इलाके में हो गई थी। मई 1999 में कारगिल युद्ध शुरू हो गया था। कालूराम कारगिल की पहाड़ी पर करीब 17850 फीट की ऊंचाई पर पीपुल-2-तारा सेक्टर में अपनी रेजिमेंट के साथ तैनात थे।
इस दौरान 4 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी सेना ने उनकी रेजिमेंट पर हमला बोल दिया। एक बम का गोला कालूराम के पैर पर आकर लगा और उनका पैर शरीर से अलग ही हो गया था। इसके बावजूद भी कालूराम दुश्मनों से लड़ते रहे और अपने रॉकेट लांचर से दुश्मनों का एक बंकर ध्वस्त कर उसमें छिपे 8 घुसपैठियों को मार गिराया।
मां को लिखे खत में था इन बातों का जिक्र
कालूराम जाखड़ ने कारगिल से ही अपनी मां को एक खत भेजा था। बाद में पता चला कि उन्होंने जिस दिन खत लिखा था। उसी दिन वे शहीद हो गए थे। खत में उन्होंने अपनी मां को सम्बोधित करत हुए लिखा था कि मां तुम मेरी चिंता मत करना। तेरे बेटे के नाम का शिलालेख गांव में लगेगा और तेरे बेटे को एक दिन पूरी दुनिया जानेगी कि कैसे वह दुश्मनों से लड़ा था। कालूराम का यह पत्र उनके जीवन का आखरी खत बनकर रह गया।
उनकी मां केली देवी बताती हैं कि वह हमेशा एक ही बात कहता था कि कुछ नया करूंगा और नाम करूंगा और उसने कर ही दिया. कालूराम ने 4 जुलाई को ही परिवार के लिए खत लिखा और पोस्ट किया था. उस दिन रात को ही उनके भाई को समाचार मिला कि शहीद हो गए हैं. चिट्ठी 10 जुलाई को गांव पहुंची, उससे पहले शहीद की देह पहुंच गई.
शहीद कालूराम जाखड़ युद्ध भूमि में होते हुए भी लिखा मजे में हूं, मां-पिताजी का ध्यान रखनाकालूराम ने 4 जुलाई को युद्ध मैदान से ही चिट्ठी लिखी थी और उसके बाद वे अपने ऑपरेशन में गए थे. उस चिट्ठी में भी यही लिखा कि मैं मजे में हूं, मेरी चिंता मत करना. अपने भाई को लिखा कि माता जी और पिताजी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना. इस चिट्ठी में परिवार के लगभग प्रत्येक व्यक्ति का नाम लिख याद किया. इसके अलावा गांव के भी अपने कई दोस्तों के नाम लिखे थे.
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