शहीद श्री श्योदाना राम बिजारणिया

                                                                   कारगिल शहीद 
                       शहीद श्री श्योदाना राम बिजारणिया
                       हरिपुरा,लोसल (सीकर) राजस्थान
         
 लोसल के निकटवर्ती गांव हरिपुरा में श्री मांगूराम जी बिजारणियां के घर पांचवीं संतान के रूप में जन्मे श्री श्योदाना राम बचपन से ही कुशाग्रबुद्धि थे कि लोसल में डेडराज सीनियर सेकेंडरी स्कूल में वर्ष १९९१ में विज्ञान विषय में ११ वी पढ़ रहे थे लेकिन पारिवारिक आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए रोजगार पाने सेना भर्ती रैली में भाग लेते हुए 28 अप्रैल 1991 को 17 जाट बटालियन में शामिल हुए जिसका मुख्यालय बरेली हैं।


        ज्ञात हो कि श्री मांगूराम जी बिजारणियां की पृष्ठभूमि कृषि व  पशुपालन होने से आर्थिक स्थिति आगे पढ़ाने के लिए ठीक नहीं थी लिहाज़ा फौज में भर्ती होने के उपरांत कुशाग्रबुद्धि लिए श्योदाना राम ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और सेना में रहते हुए गणित विषय से स्नातक डिग्री हासिल की और सैन्य अधिकारी बनने हेतु जुट गए....

   इसी दौरान श्री श्योदाना राम ने राॅकेट लांचिंग विशेषज्ञता हासिल की...counter insurgency in operations में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे थे...... दिसंबर 1997 में ओपरेशन रक्षक (Operation rakshak ) में  बेहतर प्रदर्शन कर चुके थे।

      वर्ष 1999 मई माह में छुट्टी पर आए हुए थे कि 3 मई 1999 को पाकिस्तानी सेना के करीब 5000 सैनिक कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा कर चुके थे  लिहाज़ा इस इलाके को मुक्त कराने के लिए भारतीय सेना ने Operation Vijaya चलाया ।

       तुरंत छुट्टियां रद्द कर दी और इनकी युनिट 23 मई 1999 को  द्राक्ष सेक्टर , जम्मू-कश्मीर mobilised हुई और लगातार  उम्दा प्रदर्शन करते हुए भारतीय सेना 2 माह में 26 जुलाई 1999 कारगिल विजय प्राप्त की।

       युद्ध जब चरम पर था तो श्री श्योदाना राम  अपनी युनिट के साथ  mashkoh valley , drass sub sector में तैनाती के दौरान 6-7 जुलाई 1999 की रात भीष्म मुट्टभेड़ हुयी थी अलसुबह करीबन 5:30 बजे दुश्मनों के द्वारा फेंका हैंडग्रेनेड आकर गिरा जिससे उनके साथी घायल हुए और श्री श्योदाना राम मां भारती की गोद में चिरनिंद्रा में सो गये...अमरत्व को प्राप्त कर चुके थे।

      आपके बुढ़े पिता जी के कंधे झुक गये क्यों कि आपने अपना बेटा खोया लेकिन अगले ही पल अपने बेटे के बलिदान से उस पिता का मस्तक ऊंचा हो गया ....

       .......हरिपुरा की आंका की तलाई हजारों लोगों से भर चुकी थी अपने लाल को अंतिम विदाई देने....हरेक की  आंखें नम थी ... जुबां पर अपने लाल को अंतिम सलामी मैं गुंजते नारे....

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"वीर शहीद श्री श्योदाना राम अमर रहे ....
वीर शहीद श्री श्योदाना राम अमर रहे ....

  "जब तक सूरज चांद रहेगा
 श्योदाना राम तेरा नाम रहेगा......"

 आपके पीछे परिवार में आपकी धर्मपत्नी श्रीमती भंवरी देवी व दो ५-७ साल के बच्चे रहे जिनमें उन अबोध बच्चों को तो पता भी नहीं था कि इतने लोग अपने घर क्यों आए हैं...क्या...क्यों.... कैसे..???
अनगिनत सवाल समय के साथ मिले और कुछ सवालों का जवाब मिला और कुछ अनछुए ही रह गए.... पिता रूपी छत खोई .... लेकिन वीरांगना श्रीमती भंवरी देवी ने हिम्मत रखी खुद को आत्मबल और बच्चों को संबल व सहारा प्रदान करते हुए मजबूत व सशक्त बनाया ।


साथ ही राज्य सरकार द्वारा शहीद श्योदानाराम राजकीय प्राथमिक विद्यालय का नामकरण शहीद के नाम पर किया |

आपके अतुलनीय शौर्य को कलमबद्ध करती कलम भी आज वीरता पर नमन करती है.

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